भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में, जहां करोड़ों लोग रोज़ाना की बुनियादी ज़रूरतों के लिए सरकार की सहायता पर निर्भर हैं, वहां जब कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी आई, तो सबसे बड़ा संकट गरीब वर्गों पर टूटा। लॉकडाउन, रोज़गार का संकट, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और आर्थिक तंगी – इन तमाम चुनौतियों ने गरीब तबके की ज़िंदगी को अस्त-व्यस्त कर दिया। इसी संकट की घड़ी में भारत सरकार ने गरीबों के लिए एक बड़ी राहत योजना की घोषणा की – प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY)। यह योजना मार्च 2020 में शुरू की गई और इसका उद्देश्य था देश के सबसे जरूरतमंद वर्ग तक भोजन और आर्थिक सहायता पहुंचाना।
कोविड संकट में उठाया गया ऐतिहासिक कदम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने मार्च 2020 में 1.70 लाख करोड़ रुपये के विशेष राहत पैकेज की घोषणा की थी। इस योजना का नाम रखा गया – प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना। इस योजना का मूल उद्देश्य यह था कि देश का कोई भी गरीब नागरिक भूखा न सोए और न ही उसे बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने में किसी प्रकार की कठिनाई हो।
यह योजना कई मोर्चों पर गरीबों की मदद के लिए तैयार की गई थी – जैसे मुफ्त राशन, आर्थिक सहायता, किसानों के लिए राहत, स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बीमा आदि। इस पैकेज को समय-समय पर बढ़ाया भी गया, ताकि महामारी की लंबी अवधि में भी लोगों को निरंतर सहायता मिलती रहे।
स्वास्थ्यकर्मियों के लिए 50 लाख का बीमा कवर
कोरोना वायरस से जंग में सबसे आगे खड़े थे हमारे डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्य कर्मचारी और सफाई कर्मचारी। इन्हीं जांबाज़ योद्धाओं के लिए सरकार ने एक बीमा योजना लागू की, जिसमें हर स्वास्थ्यकर्मी को 50 लाख रुपये का बीमा कवर देने का प्रावधान किया गया।
यह योजना 30 मार्च 2020 से प्रभावी हुई और बाद में इसे 20 अप्रैल 2021 से एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया। यह बीमा योजना सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों, वेलनेस सेंटरों में कार्यरत लगभग 22 लाख स्वास्थ्यकर्मियों को कवर करती थी। इस योजना के तहत यदि किसी कर्मचारी की कोविड ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो जाती थी, तो उनके परिजनों को 50 लाख रुपये की बीमा राशि दी जाती थी। यह उन लोगों के लिए एक सम्मानजनक और ज़रूरी सुरक्षा कवच था, जो दिन-रात देश सेवा में लगे हुए थे।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना
लॉकडाउन और आर्थिक मंदी के समय में जब गरीब तबका रोज़ी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहा था, तब केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की शुरुआत की। इसके अंतर्गत भारत की दो-तिहाई आबादी, यानी लगभग 80 करोड़ लोगों को हर महीने 5 किलो गेहूं या चावल और 1 किलो पसंदीदा दाल मुफ्त देने का निर्णय लिया गया।
इस योजना का उद्देश्य था कि कोई भी व्यक्ति सिर्फ भोजन की कमी के कारण संकट में न पड़े। शुरुआत में यह योजना अप्रैल 2020 से जून 2020 तक के लिए थी, लेकिन बाद में इसे नवंबर 2021 तक बढ़ा दिया गया। इस योजना के जरिए भारत सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि लॉकडाउन या आर्थिक अस्थिरता के दौरान भी गरीबों के घरों में चूल्हा जलता रहे।
महिलाओं को आर्थिक संबल
20 करोड़ महिला जनधन खाताधारकों को सरकार ने अगले तीन महीनों तक 500 रुपये प्रति माह की राशि सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की। इसका उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और घर की ज़रूरतों को पूरा करने में उन्हें सहायता देना था। नगद हस्तांतरण की यह सुविधा Direct Benefit Transfer (DBT) प्रणाली के जरिए हुई, जिससे पारदर्शिता और त्वरित सहायता सुनिश्चित हुई।
मनरेगा मज़दूरी में वृद्धि
महामारी के कारण लाखों मजदूरों की रोज़गार छिन गई थी। इस संकट से उबारने के लिए सरकार ने मनरेगा योजना के तहत मजदूरी 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये प्रतिदिन कर दी। इससे लगभग 13.62 करोड़ परिवारों को सीधे लाभ मिला। यह कदम न केवल मजदूरों की आय में बढ़ोतरी का माध्यम बना, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति देने का काम किया।
वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं और दिव्यांगों को अनुग्रह राशि
गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे सीनियर सिटिज़न्स, विधवाओं और दिव्यांगों के लिए सरकार ने 1,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। यह राशि दो किस्तों में ट्रांसफर की गई और लगभग 3 करोड़ लाभार्थियों को इसका सीधा लाभ मिला।
पीएम किसान योजना के तहत अग्रिम किस्त
भारत के करोड़ों किसानों को राहत देते हुए सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत अप्रैल 2020 की पहली किस्त (₹2000) को एडवांस में रिलीज किया। इसका लाभ 8.7 करोड़ किसानों को मिला। यह सहायता किसानों के लिए उस वक्त बहुत काम आई, जब खेतों में फसल की बुवाई या कटाई चल रही थी।

निर्माण श्रमिकों के लिए कल्याण कोष
देश के विभिन्न हिस्सों में काम करने वाले निर्माण श्रमिकों के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को आदेश दिया कि वे निर्माण श्रमिक कल्याण कोष (Building & Construction Workers Welfare Fund) का उपयोग कर उनके लिए राहत कार्य करें। इससे लाखों श्रमिकों को सीधा और त्वरित आर्थिक सहयोग मिला।
क्षेत्रीय प्राथमिकता के अनुसार मुफ्त दालें
भारत सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि गरीबों को न सिर्फ अनाज मिले, बल्कि प्रोटीन युक्त आहार जैसे दालें भी मुफ्त मिलें। हर परिवार को 1 किलो दाल (चना, मूंग, मसूर इत्यादि) उनके क्षेत्रीय स्वाद के अनुसार दी गई। यह योजना पोषण के स्तर को बनाए रखने के लिए अहम रही।
योजना की पारदर्शिता और क्रियान्वयन
सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के हर घटक को पारदर्शी और तकनीक आधारित बनाया। आधार कार्ड, जनधन खातों, और डिजिटल लाभ वितरण प्रणालियों की मदद से यह सुनिश्चित किया गया कि हर पात्र लाभार्थी तक सहायता पहुंचे और कोई भी राशि बिचौलियों के हाथ न लगे।
योजना के कार्यान्वयन की स्थिति का निरंतर आंकलन किया गया, और 7 सितंबर 2020 तक की रिपोर्टों के अनुसार अधिकांश लाभार्थियों तक सहायता पहुंच चुकी थी। लाखों लोगों के जीवन में यह योजना आशा की किरण बनकर आई।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना न सिर्फ एक आर्थिक सहायता योजना थी, बल्कि यह भारत सरकार की गरीबों के प्रति संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का प्रतीक भी बनी। कोरोना जैसे वैश्विक संकट में, जहां तमाम विकसित देश अपने नागरिकों की बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने में संघर्ष कर रहे थे, वहीं भारत ने यह सुनिश्चित किया कि उसकी गरीब जनता के हाथ खाली न हों और उनका पेट भरा रहे।इस योजना ने यह भी दिखाया कि एक डिजिटल और संरचित व्यवस्था के जरिए सरकार देश के कोने-कोने तक लाभ पहुंचा सकती है। यदि भविष्य में कोई अन्य संकट भी आता है, तो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना जैसे मॉडल से प्रेरणा लेकर सरकार तेजी से राहत प्रदान कर सकती है।
पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. 1: प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना क्या है?
उ. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) भारत सरकार द्वारा मार्च 2020 में शुरू की गई एक विशेष राहत योजना है, जिसका उद्देश्य कोविड-19 महामारी के दौरान गरीबों, मजदूरों, किसानों, महिलाओं और कमजोर वर्गों को आर्थिक और खाद्य सुरक्षा प्रदान करना है।
प्र. 2: इस योजना के तहत कुल कितनी राशि का पैकेज जारी किया गया था?
उ. इस योजना के अंतर्गत सरकार ने 1.70 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज घोषित किया था, जिसे समय-समय पर विस्तार भी दिया गया।
प्र. 3: क्या इस योजना के अंतर्गत मुफ्त राशन मिलता है?
उ. हां, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत लगभग 80 करोड़ लोगों को हर महीने 5 किलो गेहूं/चावल और 1 किलो दाल मुफ्त दी जाती है। यह सुविधा शुरुआत में 3 महीने के लिए थी, लेकिन इसे बाद में नवंबर 2021 तक बढ़ा दिया गया।
प्र. 4: महिलाओं को क्या लाभ दिया गया है इस योजना में?
उ. 20 करोड़ महिला जनधन खाताधारकों को तीन महीनों तक हर महीने 500 रुपये की आर्थिक सहायता उनके बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर की गई।
प्र. 5: क्या किसानों को भी कोई सहायता मिली है?
उ. हां, पीएम किसान योजना के अंतर्गत किसानों को ₹2,000 की अग्रिम किस्त अप्रैल 2020 में दी गई, जिससे 8.7 करोड़ किसानों को सीधा लाभ मिला।